खुद से मोहब्बत करना, सीखा दू मैं जरा।।

रूह रहती है यहां, कुछ पूरे,
अधूरे ख्वाबों की,
जब कोई नहीं होता
खुद से मुलाक़ात करती है ये,

खाली दीवारें, खड़ी है कब से यहां,
आओ इनको, जरा अपने रंग में रंग दूं,
मेरी मुस्कान, जरा दे दूं, इनको,
इनके जेहन में, मेरी यादें भर दूं,

इश्क क्या है, इन्हे बता दूं जरा,
खुशबू मोहब्बत की, बता दूं जरा,
कहीं जाया ना हो, उमर इनकी,
खुद से मोहब्बत करना, सीखा दू मैं जरा।।

देव

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