जो तब थी, वहीं आज भी है,
तेरी आंखो में, वो ललक आज भी है,
कौन कहता है तू बदल गई है,
बस, माथे पर, कुछ शिकन पड़ गई है,
आज भी, तू फिर वही रूप जो धर ले,
आशिकों के दिलो में, आग तू भर दे
तेरी गली में, लग जाएगा, हुस्न का मेला,
चांद फीका पड़ जाएगा, देखकर हुस्न तेरा।।
देव