तू, अब कुछ और निखर गई है,

तू, अब कुछ और निखर गई है,
कल तक जो सुंदर थी,
अब खूबसूरत हो गई है,
सीखा रही है, हमें जीने की कला,
हसना, खिलखिलाना,
गमों को छिपा आंचल में अपने,
खुल कर मुस्कुराना,
देखो, कैसे तुम,
ठहाका लगा रही हो,
जैसे, रात को,
ठेंगा दिखा रही हो,
कह रही हो,
देख ले, मैं जीना जानती हूं,
ये है मेरे यार,
मैं इन्हे पहचानती हूं,
हम, जिंदगी,
बड़ी करना जानते है,
गुरबत में भी,
ठहाका लगाना जानते है।।

देव

Leave a Reply