उस दिन, बस तुझे ही देखने में
रात गुजार दी सारी,
तू करीब तो ना थी,
तेरी तस्वीर ने है,
नींद उड़ा दी सारी,
तेरा चेहरा, तेरे हाथ
तेरी मुस्कान, तेरा अंदाज,
सब, कुछ ना कुछ
बता रहे थे
तेरे किस्से, सुना रहे थे,
तेरी, झुकी सी नज़रे,
मेरी नजरो से, बच ना सकी,
हया की चुनर, थी जो ओडी
वो तेरी शरम, छुपा ना सकी,
बिन खोले, लब तू अपना,
कंपकपाती अंगुलियों से,
सुनाती है, हाल ए दिल तेरा
बोलने को बेताब लबों को,
दांतो से भींचे,
तू मुस्कुराना चाहती थी खुल कर,
मगर, जज्बातों को ,
सम्हालते हुए,
तू बस, मुस्कुरा रही थी,
यही अदा, मुझे दीवाना
और दीवाना बना रही थी
सारे किस्से, तेरी तस्वीर
बयां कर रही थी
और हर पल, हर किस्से से
तू मेरे दिल में गहरी
और गहरी, बस रही थी
ऐ काश! कुछ पल के लिए ही सही,
दीदार ए यार हो जाए,
कुछ लम्हे, खुदा बख्शे,
तेरा साथ मिल जाए,
जन्नत का नहीं है ख़्वाब,
बस एक तू, मिल जाय
देव