रंग तो हजार, भर लिए हमने,
पर ये खालीपन क्यूं है,
या, यू कहूं, भारी भीड़ में भी,
ये दिल तन्हा क्यूं है,
मेरे हर पल को, सजा दिया उसने,
रात को दिन, हर शाम, सजा दी उसने,
फिर भी, अंधेरों से दर लगता क्यूं है,
खुशियां, जहां भर की,
झोली में बरस गई मेरे,
हर वक़्त, यारो की, महफ़िल
लगती है घर पर मेरे,
फिर भी, ये कमबख्त वक़्त,
नहीं गुजरता क्यूं है,
रंग तो हजार, भर लिए हमने,
पर ये खालीपन क्यूं है,
या, यू कहूं, भारी भीड़ में भी,
ये दिल तन्हा क्यूं है,
देव