शाम क्यूं, तन्हा हो गई है

जिंदगी कुछ, बदल सी गई है
शाम क्यूं, तन्हा हो गई है,

वक़्त क्यूं, गुजरता नहीं है,
इश्क़ में, दिल लगता नहीं है

जिंदगी कुछ, सी गई है
शाम क्यूं, तन्हा हो गई है,

हुस्न आता है, नजर जब भी मुझको
नज़रे क्यूं, टिकती नहीं है
हाथो में, आता है हाथ उनका,
पकड़ने को, अब, मचलता नहीं है

जिंदगी कुछ, बदल सी गई है
शाम क्यूं, तन्हा हो गई है,

आती है याद अक्सर उनकी
मिलने की कोई, आरजू नहीं है
जाने की, जब बात कहते है
रोकने को, दिल कहता नहीं है

जिंदगी कुछ, बदल सी गई है
शाम क्यूं, तन्हा हो गई है,

देव

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