सब कुछ मिल जाए,
तमन्ना फिर भी रहती है,
ख्वाहिशें तो ख्वाहिशें है,
पूरी कहा होती है।।
बिछड़ते है, हर रोज
लोग महफ़िल में,
शाम फिर आती है,
फिर मुलाक़ात होती है,
दर्द है तो क्या,
सह लेंगे, हंस के हम,
हर रात गुजारने पर,
हसीन सुबह होती है।।
देव
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सब कुछ मिल जाए,
तमन्ना फिर भी रहती है,
ख्वाहिशें तो ख्वाहिशें है,
पूरी कहा होती है।।
बिछड़ते है, हर रोज
लोग महफ़िल में,
शाम फिर आती है,
फिर मुलाक़ात होती है,
दर्द है तो क्या,
सह लेंगे, हंस के हम,
हर रात गुजारने पर,
हसीन सुबह होती है।।
देव