कैसी जद्दोजहद में, मैं फस गया,
हुस्न इतना था, और मै, उलझ सा गया,
ख़्वाब, ले कर चला, मैं चाहत के,
मंजिल पे, पहुंच के, सब बिखर सा गया,
इश्क रूसा, मोहब्बत, नाराज़ हुई,
मेरी कोशिश, सब बेकार हुई,
समंदर, था करीब, और मैं प्यासा था,
अब तो, किसी चौखट, का ही, सहारा था,
ना मिला राम, ना माया, मुझको
हाय, खुदा, ऐसा क्या, मैंने किया।।
देव
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