नजर ही नजर से बचा के रखोगे,
नजर को नजर से, मिला कैसे दोगे।।
ये नज़रे ही तो है, जो इश्क़ का रोग, लगती है,
ये नज़रे ही तो है, जो इश्क़ में गुनाह करवाती है,
नजर ही तो उन्हें, मुझसे दूर ले जाती है,
नज़रे ही हमे, उनके और करीब लाती है,
माना, नजरो से, दीदार एक जैसा होता है,
मगर नजराने में , खुदाया फर्क बहुत होता है,
किसी को खुदा नजर आता है,
कोई खुदाई को, नजर लगाता है,
किसी की नजर में प्यार आता है,
किसी की नजर पर प्यार आता है,
देव