मेरा इम्तिहान कब तक लोगे,
कब तक, मुझे अपनाने की, बस बातें करोगे,
मैं, कहने को तो रूह हूं तुम्हारी,
और कब तक, रूह के बिना रहोगे,
बारिशें निकल गई, सर्द हवाओं ने जकड़ा है,
रजाई में गर्माहट तो है, पर दिल तन्हा है,
तू गैर था, कल तक, आज साथ बैठा है,
मगर, तेरे जेहन में, सवाल मेरा नहीं गूंजा है,
तेरे सपनों में, मैं हूं या नहीं,
कुछ बता तो सही, मैं गैर हूं, या अपनी,
यूं ही इंतेज़ार, मेरे नसीब में लिखा है,
या तुझसे मिलन का, कोई तरीका है,
इक बार, बस इक बार, बता दे मुझे,
तुझे मुझसे मोहब्बत है,
या ये भी सिर्फ धोखा है।।
देव