मेरी दोस्ती को वो,प्यार समझ बैठे है

मेरी दोस्ती को वो,
प्यार समझ बैठे है,
समझाएं किस तरह उनको,
हम तो खुद, इश्क़ में, जले बैठे है,

पता नहीं, कब से,
हमसे आस लगाए बैठे है,
कैसे बताएं उनको,
हम पहले से, कितनी बार
लूटे बैठे है,

कहता हूं, इश्क़ ना करो मुझसे,
मैं मोहब्बत ना कर पाऊंगा,
ज़ख्म अभी भरे नहीं,
हम नासूर लिए बैठे है,

दर्द तुम खुद को भी दोगे,
तकलीफ मुझे भी होगी,
दोस्ती को दोस्ती रहने दो,
क्यूं वो जिद पर अडे बैठे है।।

है आदत हमे बड़ी गंदी,
हर हाल में, खुश रहने की,
और खुशी बाटने को हमारी,
कुछ और समझ बैठे है।।

देव

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