शाम भी कुछ यही कर रही है

शाम भी कुछ यही कर रही है,
वो शायद यही कही है, कहीं यहीं है,

यूं ही नहीं, फिजा में, लालिमा है फैली,
कुछ और नहीं, मुस्कुराहट है तेरी,

तू छाव है, धूप भारी जिंदगी में मेरी,
तेरे संग, बिता दू, जिंदगी मेरी,

चंद पल, बिताना, तेरे आगोश चाहता हूं,
इक बार, तेरे करीब आना चाहता हूं,

देव

Leave a Reply