बैठ कर सोचता हूं,
क्या मेरा अस्तित्व बस इतना है कि
किसी की ख्वाहिशें,
किसी की जरूरतें,
किसी की सहायता,
किसी का फायदा,
बस, इसी न मेरी
जिंदगी गुज़र जाएगी,
मेरे लिए जीने की बारी,
मेरी कब आएगी,
लाइफ ने मुझे भी तो,
वक़्त उतना ही दिया है,
और जीने के मकसद,
अनगिनत,
हर मोड़ पर, सोचता हूं,
किस ओर चलना है,
जहां जा रहा हूं,
वही है मंजिल मेरी,
या मंजिलों से दूर
निकलता जा रहा हूं,
कल क्या हुआ,
उसी सोच में आधा
आज निकाल गया,
और बाकी आधा,
कल क्या होगा, सोचने में,
वक़्त तो आज है जरूरी,
और परवाह कल की,
कल जब आयेगा,
ना मैं रहूंगा, ना वक़्त,
क्यूं फिर यूं ही,
गुजार दूं, ये पल,
भूल क्यूं ना जाऊ,
कौन, किसका,
किसके लिए,
और मैं, बस मेरे साथ,
बिताऊं कुछ पल,
मेरे लिए ही जिऊं,
मुझ पर ही लूटा दूं,
कुछ पल।।
देव