जरूरी नहीं कि काम किया जाए,
ख्याल ही काफी है, जो थकाएंगे,
दर्द चोट का तो, सह भी लेंगे यू ही,
ज़ख्म दिल के भी, नासूर बन जाएंगे,
घर से तो, निकल जाएंगे, पल में तेरे,
जेहन में बसी यादों को, क्या मिटा पाओगे,
उमर को ना दोष दो, इन सलवटों के लिए,
शिकन लाजमी है, गर फिक्र में वक़्त बिताओगे।।
देव
Very nice poyem