कुछ वक़्त, खुद के संग गुज़ार लू,

बहुत वक़्त हो गया,
यू ही लोगो से मिलते,
क्यूं ना अब कुछ सुस्ता लूं,
कुछ वक़्त, खुद के संग गुज़ार लू,

दिखावा, बातें बेकार की,
आपा धापी संसार की,
कुछ नौकरी की फिकर,
कुछ बच्चो का असर,
गुज़र जाता है दिन,
यूं ही अक्सर,
क्यूं ना दूर कुछ दिन चला जाऊं,
कुछ वक़्त, खुद के संग गुज़ार लू,

कभी पार्टी, कभी तन्हाई,
कभी यारो के दुखड़े,
कभी गर्लफ्रेंड के झगड़े,
नाचे भी बहुत, कभी नगड़ो पर,
कभी इशारों पर,
क्यूं ना, कुछ खुद को, आराम दूं,
कुछ वक़्त, खुद के संग

बहुत वक़्त हो गया,
यू ही लोगो से मिलते,
क्यूं ना अब कुछ सुस्ता लूं,
कुछ वक़्त, खुद के संग गुज़ार लू,

दिखावा, बातें बेकार की,
आपा धापी संसार की,
कुछ नौकरी की फिकर,
कुछ बच्चो का असर,
गुज़र जाता है दिन,
यूं ही अक्सर,
क्यूं ना दूर कुछ दिन चला जाऊं,
कुछ वक़्त, खुद के संग गुज़ार लू,

कभी पार्टी, कभी तन्हाई,
कभी यारो के दुखड़े,
कभी गर्लफ्रेंड के झगड़े,
नाचे भी बहुत, कभी नगड़ो पर,
कभी इशारों पर,
क्यूं ना, कुछ खुद को, आराम दूं,
कुछ वक़्त, खुद के संग गुज़ार लू,

सोचा बहुत, खुद को टटोला बहुत,
पाया हर तरफ , एक शोर,
हलचल कर रहा था बहुत,
ना मिली शांति, ना कर पाए क्रांति,
सोच बस रुकी नहीं, कि फिर चल पड़ी,
क्यूं भागता फिर रहा हूं मैं, यही है जिंदगी,
जो वक़्त है, क्यूं ना हंसी में गुज़ार दू।।

देव

लू,

सोचा बहुत, खुद को टटोला बहुत,
पाया हर तरफ , एक शोर,
हलचल कर रहा था बहुत,
ना मिली शांति, ना कर पाए क्रांति,
सोच बस रुकी नहीं, कि फिर चल पड़ी,
क्यूं भागता फिर रहा हूं मैं, यही है जिंदगी,
जो वक़्त है, क्यूं ना हंसी में गुज़ार दू।।

देव

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