जब से वो गया है,
वो कुछ अधूरी सी हो गई है,
सपनों को कर विदा अपने,
जिंदगी की आपा धापि में खो गई है,
सुबह सुबह, शुरू हो जाती है दौड़,
बच्चो को उठाना, तैयार करना,
टिफिन बनाना, स्कूल भेजना,
फिर खुद के ऑफिस की तैयारी करना,
बेतरतीब से बालों को झट से समेटना
बिना मैचिंग के कपड़े पहनना,
अब कहा आइने के सामने,
खड़े होने की फुरसत मिलती है
सपनों को कर विदा अपने,
जिंदगी की आपा धापि में खो गई है,
ऑफिस में भी, सुंदर दिखने की
नहीं कोशी होती है अब
लोगो की नज़रे भी खा जाती है,
जैसे दया दिखा रहे हो सब,
जिनकी औकात नहीं थी कभी,
वो भी सत्वना दे जाते है,
कुछ चाहिए तो बताना,
दिन में एक बार पूछ जाते है,
उसकी याद से बचने,
अपने काम में उलझ सी गई है,
सपनों को कर विदा अपने,
जिंदगी की आपा धापि में खो गई है,
फिर शाम, वही जिम्मेदारियां लेकर आ जाती है,
सुबह की तैयारी में यूं ही निकल जाती है,
और ये कमीनी रात, क्यूं इतना जुल्म ढाती है,
आंखो से नींद गायब,
दिमाग में हलचल सी मच जाती है,
फिर वही चेहरा, तस्वीर तेरी सामने आती है,
जब भी नज़रे मुंदती हूं,
गुजरे वक़्त की फिल्म चल जाती है,
पता ही नहीं चलता, अक्सर उसको
कब सुबह हो गई है,
सपनों को कर विदा अपने,
जिंदगी की आपा धापि में खो गई है,
देव