मैं तो कब से इंतेज़ार में हूं,
अब नहीं जागा जाता यू ही,
बिना बात के,
कोई सपनों में तो आए,
मुझे जगाए, अपनी हरकतों से,
फिर जागूं याद में उसकी,
तो कोई बात हो,
यूं रातों में जागना,
कुछ खास हो।।
देव
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मैं तो कब से इंतेज़ार में हूं,
अब नहीं जागा जाता यू ही,
बिना बात के,
कोई सपनों में तो आए,
मुझे जगाए, अपनी हरकतों से,
फिर जागूं याद में उसकी,
तो कोई बात हो,
यूं रातों में जागना,
कुछ खास हो।।
देव