इश्क ए इजहार कर देता हूं

इंतेज़ार ख़तम हुआ,
इम्तेहान हो गए बहुत,
इश्क़ की राह में,
खो गए है, हम अब,

या यूं कहूं, उनकी अदाओं में
उसके अंदाज में,
उसकी ना ख़तम बातो में,
और शांत से, अफसानों में,
कभी बेसब्र से इंतेज़ार में,
कभी ना मिलने की बात में,
नजर आते उस इंतेज़ार में,
कुछ तो बात है,
जब से देखा है उसे,
इस दिल को बस
उसका इंतजार है,

पर जाने क्यूं,
कुछ डर भी तो लगता है,
उसके लायक, हूं या नहीं,
पता नहीं चलता है,
उसकी पवित्रता में,
मुझे खुदा दिखता है,
पर, मेरी मोहब्बत पर,
कुछ तो यकीं,
मुझे लगता है,
अब वक़्त है,
पूछ लेता हूं,
मौसम भी मोहब्बत का है,
इश्क ए इजहार कर देता हूं

देव

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