थोड़ी मोहब्बत बिखेरो, थोड़ा इश्क़ भर लो

माना, कुछ गम अभी भी है बाकी,
चाहत के अरमान, नहीं है काफी,
पर तन्हाइयों से डर, लगने लगा है
ढूंढने को हमसफ़र, दिल चल पड़ा है,

ख्वाहिशों की फेरहिस्त बनाई उसने,
खूबियां चुन चुन कर, सोची थी उसने
खूब रखा ध्यान, पिछली गलतियों का,
क्या होगा रूप, क्या फितूर होगा,

बाज़ार में, इंसान के चल पड़े वो,
परखते हर नजर को, निकल पड़े वो,
मिला ना कोई, शख्स, भरी भीड़ में,
ख्वाहिशों पर उसकी, खरा रहे जो,

भुला कर दिल को, दिल ढूंढ़ना क्या,
इश्क़ ना हो जब, फिर हमसफ़र क्या,
एक बार, प्यार की नजर से, परखो किसी को,
थोड़ा वक़्त दो, जो चाहता है तुमको,
ख्वाहिशों का झोला, जरा खाली कर लो,
थोड़ी मोहब्बत बिखेरो, थोड़ा इश्क़ भर लो।।

देव

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