ख़्वाब

बस एक टेलीफोन कॉल ही तो किया था उसने और वह इतना परेशान हो गई, जाने कबसे वह उसके बारे में सोचे जा रही थी। उसका चेहरा जरा बुझा बुझा सा दिख रहा था। आंखों में आंसुओं की बूंदें इस तरह से जमा हो गई कि लगा अब तो बस सैलाब आने वाला है। हाथ जुल्फों में उलझे हुए थे और वह अपनी उंगलियों से बालों को सुलझाने की कोशिश में और उलझाये जा रही थी। चेहरे पर खुशी और गुस्सा दोनों साथ दिखाई दे रहे थे। झुकी हुई पलकों में ना जाने, कितनी बातें घूम रही थी। और हाथों में कपकपी सी फैली हुई थी, जैसे ना जाने क्या हो गया। उसके चेहरे के हाव भाव से उसके रूप की रंगत भी कुछ बदली सी लग रही थी। जाने कितने ही दिनों से उसके मन में कशमकश चल रही थी कि कब वह उससे अपने दिल की बात कह पाएगी और जब आज उसका फोन आया, तो फिर क्यों यह परेशान हो गई। वैसे ऐसा होना तो नहीं चाहिए था क्योंकि उसने भी वही कहा जो वह चाहती थी। लेकिन फर्क यह था की क्या यह तरीका सही था उसको अपने दिल की बात बताने का। बड़े अरसे से अरमान लेकर बैठी हुई थी कि जब उस के सपनों का राजकुमार आएगा कुछ अलग तरीके से उससे पूछेगा। हां हर लड़की का तो यह सपना होता है कि उसका राजकुमार घोड़े पर बैठकर आए उसे बांहों में उठा कर ले जाए और एक बहुत ही खूबसूरत सी जगह ले जाकर अपने प्रेम का इजहार करें। पर यह क्या, इसने तो बस फोन पर ही अपना प्रस्ताव रख डाला। वह अपने ख्वाबों को टूटते हुए देख रही थी अब आगे न जाने क्या होगा।

वो अपने कमरे मैं लगी घड़ी को एकटक ताके जा रही थी वक्त बीते जा रहा था उसकी घर की दीवारें हैं उसकी कहानी बता रही थी ऐसा नहीं था कि वह अपने कमरे को और अपने जीवन को वक्त नहीं देती थी जब भी थोड़ा सबक मिलता था वह ने सजाने संवारने में जुट जाती थी और उसका कमरा उसके कमरे में रखा सामान सामान को रखने का तरीका और हर एक चीज का सही जगह पर हो ना उसके जीवन उसकी आदतों उसकी पसंद उसकी नापसंद को भी बता रहा था मैंने देखा था उसके कमरे में एक कौन है मैं रखा हुआ वह फूलदान। रोज सुबह माली काका बगीचे से तोड़कर ताजा फूल आते थे वह रोज सुबह बड़े तरीके से एक एक फूल की डंडी से कांटो को हटाकर गुलदस्ता तैयार करती थी यह जरूर ध्यान रखती थी कि कोई भी सड़ी गली पत्ती उस फूल ना रहे। फुला के पास उसकी स्टडी टेबल जो किताबों से भरी हुई थी। लगता है उसे रोमांटिक किताबें बहुत ज्यादा पसंद है। यूं ही नहीं तो इतनी रोमांटिक है और प्यार को अपनी जिंदगी में इतनी अहमियत देती है। जाने कितनी ही बार वह शेक्सपियर पड़ चुकी है और उसी स्टडी में एक छोटा सा हिस्सा जिसमें उसने पसंदीदा मूवीस का कलेक्शन रखा है। कोई शक नहीं फिर से वही रोमांटिक फिल्में। और वहां दूसरे कोने में उसका बड़े सलीके से लगाया होगा बेड रखा है। रूस भी उठके अपने बेड को अच्छी तरह से मारती है दिल की शेप का पिलो आज भी उसे बहुत पसंद। जब 16 की हुई थी तो बड़ी खुश होकर उसने वह पिलो खरीदा था और आज भी उसे उसके बिना नींद नहीं आती है और ना ही उसे किसी के साथ शेयर करना चाहती है। दीवार पर कुछ पेंटिंग्स टंगी है कभी कभी वक्त मिलता है तो कुछ बना लेती है। अपने सपनों को कैनवास पर उन्हेल देती है और बस उन्हीं में से कुछ कहानियां निकल आती है यह कहा नहीं अभी उसकी कहानी बताती है उस के सपनों को बयां करती है उसके मासूम दिल को दिखाती है पर हर कोई नहीं समझ सकता। उसे समझने के लिए उसके जैसा दिल की तो होना चाहिए। बस उसी उम्मीद में जो साइड की टेबल पर बहुत सारे फोटोस लगा रखे हैं उन्हीं में से एक फ्रेम आज भी खाली है। वह फ्रेम उसी सपनों के राजकुमार के लिए है जो कभी आएगा और इसके दिल को चुरा कर ले जाएगा।

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