भाई, कभी रो भी लिया करो

मैंने पहले भी कहा है,
अब भी का रहा हूं,
मर्द को भी दर्द होता है,
और मर्द बन दबा कर दर्द रखते हो,
तो कभी अपने अंदर की,
औरत को भी जगा लिया करो,
भाई, कभी रो भी लिया करो।।

माना, तुम्हे कंधे नहीं मिलते,
मिलती है तो बस, तुम्हारे
दर्द पर हसने वाले चेहरे,
अक्सर, हमारे पास रहने वाले,
होते है दर्द सुनने को बहरे,
इसीलिए, जरूरी नहीं,
हर लड़की को बस गर्ल फ्रेंड बनाया जाए,
कभी, दोस्त बन कर भी,
महफिलों में, परचम लगाया जाए,

झगड़े, फसाद और गुस्सा करने में,
हिम्मत दिखाने वालो,
कहीं ज्यादा हिम्मत चाहिए रोने में,
किसी नाजुक से कंधे पर,
रख सिर अपना,
कभी दर्द भी हल्का करो,
भाई, कभी रो भी लिया करो।।

देव

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