वो देखो ओस का बादल,
छू कर निकला है,
बरस गया, जितना था,
अब क्या बरसेगा।।
रंग भर, डाल दिए है,
जमीं पर किसने,
कौन कहता है जिंदगी,
यहां वीरान सी है।।
देव
वो देखो ओस का बादल,
छू कर निकला है,
बरस गया, जितना था,
अब क्या बरसेगा।।
रंग भर, डाल दिए है,
जमीं पर किसने,
कौन कहता है जिंदगी,
यहां वीरान सी है।।
देव