किसे अपना कहे, किसे पराया,
बरसो गुज़र गए, पर जान ना पाया,
वैसे तो, हर कोई करीब नजर आता है,
मुश्किल वक़्त में, इंसान बदल जाता है,
खामियां लाख नजर आती है पल में उसको,
जिसके माथे का, ताज हुआ करते थी कभी,
देव
किसे अपना कहे, किसे पराया,
बरसो गुज़र गए, पर जान ना पाया,
वैसे तो, हर कोई करीब नजर आता है,
मुश्किल वक़्त में, इंसान बदल जाता है,
खामियां लाख नजर आती है पल में उसको,
जिसके माथे का, ताज हुआ करते थी कभी,
देव