बे सिर पैर की बातों का दौर चलना चाहिए,
कभी यारो के साथ, बेवकूफियों का दौर होना चाहिए,
बड़े हो गए तो क्या, बचपना छोड़ दे,
कभी लूडो, कभी लुका छिपी भी खेलना चाहिए,
छूट गई है जिंदगी, इस भीड़ भरे बाज़ार में,
लगी है होड, रहे है सब दौड़,
सक्सेस के इंतेजार में,
सांसे चल रही है, पर खुशियां गायब है,
आंगन में अब बच्चो की, किलकारियां नदारद है,
रुको, आओ, बैठो जरा, तसल्ली तो लो,
मत भटको यहां वहां, देखो, मंजिल तुम्हारे पास है।।
देव