तेरी चाहत के सिवाकुछ ना बचा पास मेरे।।

तुम हो ना, फिर में क्यूं परेशा रहूं,
तेरी जुल्फों के आगोश में,
कुछ पल ही सही,
सोता रहूं,
कहा है वक़्त, सोचू,
जो जिंदगी के लिए,
और वक़्त मिल भी जाए,
तो बता सोचूं मैं किसके लिए,
मानता हूं, है बच्चे, जीना है,
इनके लिए,
पर वक़्त कर देगा, जुदा
पल में, मुझसे इन्हे,
फिर बस मैं और तू रह जाएंगे,
इक दूसरे को याद,
बहुत आएंगे,
वक़्त जो बीत गया,
नहीं लौट कर फिर आएगा,
तेरा आगोश भी, खुदा ना करे,
खाली गर रह जाएगा,
मानता हूं, वक़्त ने गलतियां भी
करवाई है,
तुझसे पहले, गले बहुत लग पाई है,
पर ना इश्क़ था, ना चाहत थी
किसी को पाने की,
बस इल्तेजा थी खुदा से,
तुझसे रूबरू हो जाने की,
बड़ी हिम्मत से बोला है तुझे,
प्यार है तुझसे,
जरूरी नहीं, तू भी करें प्यार मुझसे,
मैं तुझसे दिल अपना क्या लगा बैठा,
सोच कर तू मुझे चाहेगी,
तुझको दिल ये दिया,
अब नहीं है गिला, गर तू मुझे
ना चाहे पल भर,
मगर दिल ये मेरा, चाहेगा
तुझे जिंदगी भर,
माना, पी है मैंने, कुछ तेरी याद में,
मगर लिख रहा हूं ये मैं,
बड़े इत्मीनान से,
अब भी है तू, बाद तू ही
आस पास मेरे,
तेरी चाहत के सिवा,
कुछ ना बचा, पास मेरे।
तेरी चाहत के सिवा
कुछ ना बचा पास मेरे।।

देव

Leave a Reply