रंज भुला दुनिया के सारे,
कुछ पल खुद संग गुजार ले,
बेकार की बातें, कितनी कर लेगा,
थोड़ा खुद को भी, सवार ले,
यूं तो ताने, दिए हजारों,
वक़्त नहीं तुझे मिल पाता है,
सूरज उगते ही, मशीन बन जाता,
रात में थक कर, पड़ जाता है,
अब जब दिन, तेरा पूरा है,
अपने मन की, तू मान ले,
बेकार की बातें, कितनी कर लेगा,
थोड़ा खुद को भी, सवार ले,
कहां तो खुदा को रोज,
कुछ पल भी ना दे पाता था,
मंगल शनि को, कुछ मांगने भी,
बड़ी जल्दबाजी में, मंदिर जाता था,
अब जब वक़्त मिला है, तो भी है परेशान,
क्यूं नहीं बिताता कुछ पल, खुदा के द्वार,
अरे, थोड़ा तो उस खुदा से डर ले,
थोड़ा खुद को भी सवार ले,
देव