गुजर गए जाने कितने सावन,
फिक्र में जमाने की,
ना थी गुंजाइश, किसी के आने की,
यारों अब तो जीने दो, जरा पीने दो
कैसे बताऊं, कैसे मुस्कुराती थी,
सूने दिल से, जश्न मना ती थी,
फिर दस्तक दी है किसी ने,
खुश होने दो, जरा पीने दो,
बातों ही बातों में, बातें हो जाती थी,
शब्दों से ही, दिल पे छुरियां चल जाती थी,
अंधेरों में बहाए, काफी आंसू है,
अब मुस्कुराने दो, जरा पीने दो,
देव