वो आधी, जली डायरी

तुम्हारी याद में, सम्हालने बैठा,
जब तुम्हारा वो सामान, जो
थोड़ा बहुत है मेरे पास,
तो वो आधी जली डायरी भी मिली,
जिसमे थी छिपी, तुम्हारी यादें,
जो शायद तुमने, जान बूझ कर,
भुलाने की कोशिश की थी,
मगर आग भी उस अधूरी लगी थी,

मिल गई, यू ही और जब खोल कर देखा,
तू थे किस्से तुम्हारे, कहानियां तुम्हारी,
कुछ बीती बातें, कुछ सपने,
कुछ हंसी के नगमे,
कुछ गम के तराने,
वो चहकता सा चेहरा,
दूल्हे के सिर पर सेहरा,
हाथो की मेहंदी,
घरवालों की रजामंदी,
बच्चो का प्यार,
चेहरे का गुमार,
सब कुछ तो था,
मगर, फिर भी अंत तक
आते आते, सूनापन सा लगा,
जैसे तू तू नहीं रही,
तेरा सपना, कहीं खो गया,
अनजान राहों पर, तू अकेली सी,
फिर से नजर आईं
मंजिल छूट गई, और
फिर वही सुनसान राहें,

आधी जली थी, फिर भी बातें,
पूरी बयां कर गई,
लगता है, तुमसे वो गलती से
कहीं छूट गई,

क्यूं कि,

ना जिक्र सुना मैंने,
ना ही तूने कभी फरमाया,
तेरे मुकद्दर में क्या हुआ,
क्या खुदाया, नसीब में आया,

कुछ अधजले लब्जो ने बताया,
तेरी दिल का हाल, फरमाया,
आंखे मेरी भी नम हो गई,
मोहब्बत की एक और वजह मिल गई।।

देव

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