यकीं भी कितना कराएं,
के मोहब्बत है हमें उनसे,
कब तक, ये बताएं उनको,
हां, मोहब्बत है उनसे,
उमर का एक पड़ाव आ गया,
ना वक़्त का पता, ना खुद का,
कुछ पल ही है, पालो, या खो दो
तेरे रूप के चर्चे, बहुत है मोहल्ले में,
चाहने वाले मिले होंगे, हजारों राह में चलते,
मैं इक वो मुसाफिर हूं, थाम हाथ तेरा चलूंगा,
मंजिल भी तेरी होगी, रास्ते भी तेरे अपने।।
देव