मैं तो बस उसे, खुश देखना चाहता हूं।।

खत तो तुमने भी लिखा होंगे,
दो चार को, प्यार है बोला होगा,
कई बार ना भी सुना होगा,
पर, ये मेरे जज़्बात है,
उससे प्यार है, तो प्यार है,

भटकने की आदत तो मुझे भी है,
दिन रात यूं ही फिरता हूं,
पर में किसी और को नहीं ढूंढता हू,
बस उसकी तलाश है,
जब वो नहीं होती, तो उसकी याद में,
जब वो होती है, उसके साथ घूमता हूं,

वैसे, इश्क़ है, बोल तो मैंने कभी का दिया,
वैसे, ना उसने भी नहीं किया,
पर मैं उसकी मजबूरी नहीं,
मोहब्बत बनना चाहता हूं,
उसे तवज्जू देना, ना कि शर्मिंदा करना चाहता हूं,

मुझे पता है, मैं उसे पसन्द है,
मगर जरूरी तो नहीं, कि उस तरह,
ये उसकी खुशी, उसका निर्णय है,
उसका मुझपर, या किसी और पर मन है,
मैं तो बस उसे, खुश देखना चाहता हूं।।

देव

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