कुछ पल ही सही, बड़ी अच्छी नींद आई,
जैसे, पतझड़ में, बहार ने , ली अंगड़ाई,
उसके आगोश में घुस कर सोया था,
वो तो नहीं थी, पर उसके ख्वाबों में खोया था,
दिल बड़ा बैचैन था, अब सुकून है,
वो पास ना होकर भी, कितने करीब है।।
देव
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कुछ पल ही सही, बड़ी अच्छी नींद आई,
जैसे, पतझड़ में, बहार ने , ली अंगड़ाई,
उसके आगोश में घुस कर सोया था,
वो तो नहीं थी, पर उसके ख्वाबों में खोया था,
दिल बड़ा बैचैन था, अब सुकून है,
वो पास ना होकर भी, कितने करीब है।।
देव