तेरी याद में अपनी, रातें
नीलाम करता हूं, मगर,
जब तू होती है सामने,
मैं थोड़ा हंस लेता हूं,
यूं तो, अक्सर, आंखे
भी नम हो जाती है
छुप कर, जमाने से,
रो लेता हूं, मगर,
जब तू होती है सामने
थोड़ा हंस लेता हूं,
तेरे अरमान, पूरे हो सारे
खुदा से, ख्वाहिश यही है
मैं नहीं हूं तेरे सपनों में
यही अफसोस करता हूं,
जब तू होती है सामने
थोड़ा हंस लेता हूं
आज फिर, देखा तुझे
उस छोटे से झरोखे से,
तेरी मुस्कान ने, छुपा
रखे थे, सारे गम तेरे,
दो आंसू मुझे भी आए,
चुपके से, मगर
जब तू होती है सामने
थोड़ा हंस लेता हूं।।
देव