चाहे, इक दूसरे से, बहुत
अलग, नजर आते है, मगर
समंदर और आसमा,
भी मिल जाते है इक छोर पर,
तकती रहूं, ये नज़ारा,
बस यूं ही उम्र भर, मगर
कर रहा होगा, इंतेज़ार कहीं,
कोई मेरा भी हमसफ़र।।
देव
चाहे, इक दूसरे से, बहुत
अलग, नजर आते है, मगर
समंदर और आसमा,
भी मिल जाते है इक छोर पर,
तकती रहूं, ये नज़ारा,
बस यूं ही उम्र भर, मगर
कर रहा होगा, इंतेज़ार कहीं,
कोई मेरा भी हमसफ़र।।
देव