ये सौंधी सौंधी खुशबू,
मेरी मिट्टी की,
ये फुहारों में लिपटी हवाएं,
पेड़ की हिलती टहनियों,
से आता संगीत,
और मकानों के दर्रो से,
छन कर आता संगीत,
बड़ी हसीन सुबह है आज,
लगता है, प्रकृति खुश है आज,
बस नाच रही है,
मगन होकर अपने में,
काश रही है देखो,
कितनी हसीन हूं मैं,
जब तुम है दड़बो में।।
देव