उन दरखतो से पूछो,
इंतेज़ार क्या होता है,
हर साल, सावन के,
इंतेज़ार में, महीनों गुजारते है,
चिलचिलाती धूप में,
कुछ सूख जाते है,
लेकिन, खड़े रहते है,
अपनी जगह, बस
इक आस में,
आज नहीं तो कल,
फिर खिलेंगी,
कोपुल मुझ पर,
घनी बरसात में।
देव
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उन दरखतो से पूछो,
इंतेज़ार क्या होता है,
हर साल, सावन के,
इंतेज़ार में, महीनों गुजारते है,
चिलचिलाती धूप में,
कुछ सूख जाते है,
लेकिन, खड़े रहते है,
अपनी जगह, बस
इक आस में,
आज नहीं तो कल,
फिर खिलेंगी,
कोपुल मुझ पर,
घनी बरसात में।
देव