कभी होती थी, विशाल इमारतें यहां,
अब तो खंडहर बन गई है,
बड़ी बड़ी दीवारों को, जोड़ने वाली,
वो छोटी छोटी दीवारों, कब की ढह गई है।
अब कहा मिलती है, खुशबू,
चमेली, मोगरे, गुलाब के फूलों की,
ऑने कोने में उगे है झाड़,
आंगन की जगह,
इमली और बंबूल ने ले ली है,
इतने बड़े दिल लेकर,
अपनी शामे, साथ गुजरने वालो,
क्या हुआ, लगता है,
विश्वास और प्यार की कड़ी,
जो कभी, अटूट कहीं जाती थी,
वक़्त के साथ कमजोर हो गई है,
शायद, वो यारी कहीं छूट गई है।।
देव