आज चांद से मुलाकात हुई,
उसने पूछा, क्या बात है,
आज तुमसे कैसे मुलाक़ात है,
मैंने कहा,
आज मेरा चांद खोया है,
लगता है, वक़्त पर सोया है,
या कहीं बादलों में छिप,
अठखेलियां कर रहा होगा,
चांद ने कहा,
जान सकता हूं, तुम्हारा हाल,
क्या बीत रही होगी,
जैसे अमावस की रात,
मुझे चुभती है, वैसे ही,
चुभन तुम्हे भी हो रही होगी,
मैंने कहा,
नहीं, मैं तो बस, इंतेज़ार में हूं,
आएगा जरूर मेरा चांद,
बस, वक़्त लगाता है, मगर
किसी ना किसी बहाने,
दिख जरूर जाता है।।
देव
10 may 2020