ना ना करने का, तुझे गुरूर मिला होता

ना रास्ते मेरे,
तेरे रास्तों से मिलते,
ना इश्क़ हुआ होता,
ना ख्वाब देखता।

ना बेखुदी के आलम में,
यूं जल रहा में होता,
ना अफसोस का तुझे,
कोई अफसोस होता।

मगर ना जी रहा था मैं,
ना जिंदगी थी मुझमें,
ना तू मिलती मुझे,
ना मैं खुशगुवार होता।

ना मुस्कुराती तू,
देख तस्वीर खुद की,
ना ना करने का,
तुझे गुरूर मिला होता।।

देव

8 may 2020

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