मुझको थोड़ी सी, खुदा मुद्दत देदे,
कुछ पल ही सही, उसकी सोहबत दे दे,
फिर बुला लें मुझे, शिकवा नहीं है मुझे,
बस इक बार, उसे, मेरी मोहब्बत दे दे।।
नही है आरजू मुझे, तख्त ओ ताजों की,
मगर, ख्वाहिश है उसे, आलीशान महलों की,
जरा इक बार, मुझे तेरी सल्तनत दे दे,
बस इक बार, उसे, मेरी मोहब्बत दे दे।।
सर्द रातों में, जम चुके है उसके पांव उसके,
जख्म कुछ है हरे, नहीं भरे उसके,
उसके जख्मी की, मुझे कोई मलहम देंदे,
बस इक बार, उसे, मेरी मोहब्बत दे दे।।
सुना है जन्नत में, बहुत कम है जगह तेरे,
गर थोड़ी सी भी नसीब में है, जन्नत मेरे,
मेरे हिस्से की भी, उसे जन्नत दे दे,
बस, इक बार, उसे, मेरी मोहब्बत दे दे।।
देव
9 May 2020