मेरी ख्वाहिश भी मेरी कहा थी

मेरी ख्वाहिश भी मेरी कहा थी,
बस उसके चेहरे की, हसीं बरकरार रहे,
बस, वो सदा मुस्कुराती रहे,
ख्वाब उसके हकीकत मेरी बन गए थे,
उसकी खुशी, मेरी मंजिल बन गई थी,
वक़्त मेरा, मेरा कहां रहा था,
उसके करीब,मिलता मुझे सारा जहां था,
और वो जहां ढूंढ रही थी,
अपने सपने कहीं और खोज रही थी,
जज्बातों से मेरे, खिलवाड़ कर रही थी,
मेरे हिस्से की मोहब्बत, कहीं और दे रही थी,
ऐसा नहीं कि नहीं समझाया हो मैंने,
ऐसा नहीं कि सब कुछ ना लुटाया हो मैंने,
मगर, उसने है लुटा होता मुझे तो बात थी,
भरे बाजार, आत्मसम्मान, नीलाम,
होने की कगार थी,
मेरे नन्हो से, बेरुखी के हालात थे,
उनके बिलखने की, कानो में मेरे आवाज थी,
और एक पल में ही सब कुछ,
तो खत्म कर दिया,
जिस दिल में वो बसी थी,
उसको ही भस्म कर दिया।।

देव

6 may 2020

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