बेतरतीब से बालों को, सुलझाते हुए,
वो दिखती है अक्सर, गुनगुनाते हुए,
कानो में सखी के, फुसफुसाते हुए,
देखती है अक्सर, नजरे चुराते हुए,
हया के आंचल में, छिपा चेहरा अपना,
छिप जाती है अक्सर, शरमाते हुए,
तकदीर मेरी, शर्मीली कितनी है देखो,
चल देती है दूर मुझसे, शरमाते हुए।।
देव
6 may 2020