साथ है यार, तुम्हारे

कहीं कुछ तो है, यू ही
नहीं, तुम ख्याल रखती हो,
कभी हस्ती हो, मुझ पर
कभी नाराज भी होती हो।।

मैं तो पागल हूं, थोड़ा तो जरूर
पर तुम समझदार हो,
मगर खुद को पहचानने में,
थोड़ी सी, लाचार हो,

सुनती तो हो, अक्सर
मगर सुनतीं नहीं, खुद को
ख्वाबों को अपने,
शायद कम समझती हो,

विश्वास तो है, खुदा पर,
फिर इतना क्यूं डरती हो,
साथ है यार, तुम्हारे,
बढ़ने से क्यूं, हिचकती हो।।

देव

5 may 2020

Leave a Reply