Just heard a narration, of true event, of Purnima, a 14 yrs old girl and her 6 yrs old sister, who were raped in front of their parents on 8 october, 2001 in Bangladesh. Reason was, even being part of minority, they were holding good wealth. I was so touched and written few lines.. here it is……
वो चिल्लाती रही,
बेबस लाचार,
और होता रहा,
उसकी नादान,
औलादों पर अत्याचार,
यूं आताताईयों पर था,
धर्म का जुनून सवार,
कहां रुके, कहां समझे,
इंसानियत हुई थी शर्मोसार,
बुरे और कम बुरे में,
वो भेद करती रही,
अरे, बच्ची है, थोड़ा रहम करो,
वो बिलखती रही,
आवाजे, उस नन्ही जान की,
चीरती हुई दीवारों,
ईमान बेच, हैवान बन चुके,
समाज के कानो में भी पड़ी,
सिस्क्यों, और,
बेपनाह दर्द भरी,
उन कराहंटो में,
लथपथ वो पड़ी रही,
सवाल खुदा से,
इंसानियत ये करती रही,
खुदा कहूं कैसे तुझे,
जब नाखुदाई, तेरे नाम पर बिखरी।।
देव
19 may 2020