मशरूम से कटे बालों के,
धरातल से, ताकती ये जमीं,
फेरता हूं जब हाथ तो,
लगती है कुछ हरियाली की कमी,
कंफ्यूज भी ही थोड़ा,
थोड़ा सरप्राइज्ड भी ही,
हो गया अब तो, जो होना था,
अफसोस में जरा भी नहीं हूं,
वर्जन वन से वर्जन थ्री
तक ट्राय कर डाले,
पापा की डांट से बचने के
जतन हजार कर डाले,
कुछ मजाक भी बना,
कुछ बाते भी निकली,
खुश हूं, गलती लग रही थी जो,
उससे भी, कुछ तो मुस्कान बिखरी,
देव
20 may 2020