लाल लिबास, और
फोन पकड़ने का अंदाज़,
लगता है, कुछ खास है,
मुखड़े पर, कुछ अलग मुस्कान है,
तुम्हारे जेहन में भरे,
वो हजारों सवालात,
लबों से निकलती,
वो फुर्र फुर्र बात,
देखो है ये खुलने को बेताब
अभी भी ये लब,
बताते है अब भी,
है वहीं हालात,
मगर, अब नया अंदाज़ है,
यूं लगता है मानो,
तुम्हे किसी का इंतजार है,
बेसब्र सी आंखे, उससे
मिलने को बेकरार है,
शायद, इसीलिए,
मुखड़े पर, कुछ अलग मुस्कान है।।
देव
20 may 2020