वक़्त मुनासिब हो, हर वक़्त,
वक़्त का वादा नहीं,
वक़्त पे मिलते है जो,
वक़्त पे छोड़ जाते भी है,
कभी भीड़ है, कभी अधीर है,
सब वक़्त का ही खेल है,
जो बेवक्त था, संग में खड़ा,
वही वक़्त का, भागीदार है,
वक़्त दिखा दे पहले, वक़्त से,
नहीं वक़्त कर सकता है ये,
वक़्त पर, वक़्त पहचान लो,
तो वक़्त पे, बचा लोगे तुम वक़्त।।
देव
14 may 2020