किसी से चांद बात क्या की,
अफसाने बन गए,
हमे पता भी नहीं चला,
और, फसाने छप गए।
मेरे ही अपने, मुझसे,
मेरा ख्याल पूछते है,
जो खबर नामालूम हमे,
उस पर सवाल पूछते है।
जो जान के अनजान थे हमसे,
वही पहचान, मेरी बताते है,
पर्चे मेरे इश्क़ के किस्सों के,
बाजारों में बांटते है।।
देव
28 may 2020