जिंदगी फिर से मिली मुझको,
इस शहर की गलियों में,
जो खो गया था लम्हा कहीं,
थामा, उसका हाथ फिर से,
कभी, भागती थी दूर,
आज, करीब आ गई,
जो ना कह पाई थी कभी,
वो बात, जुबां पर आ गई,
सुकुं जो खोया था, मेरा,
कहीं, फिर से मिल गया,
आज सालो बाद, मै फिर,
रूबरू, जिंदगी से हो गया।।
देव