उन उड़ते परिंदो को तो देखो जरा,
बेखबर, हर फिक्र से, यहां की, वहां की,
संग ले साथियों को अपने, उड़ें जा रहे है,
माना, बनाए थे घोसले, बड़ी मशक्कत से,
प्यार उन्हें भी था, यूं अपनों से,
घरोंदो को छोड़ कर अपने, उडें जा रहे है,
चमन ये है सजा, सावन का मौसम है,
ऋतु जाड़े की लाएगी, बसर होना कठिन है,
एक नए सपनों के जहां को, उड़ें जा रहे है।
देव
14 june 2020