खुद ही, खुद का, इम्तिहान लेता हूं,
कभी अव्वल, कभी नाकाम होता हूं,
मैं, अक्सर कुछ नया करता हूं।
मोहब्बत है तो है, नहीं मैं डरता हू,
कुछ अपनाता हूं, कुछ छोड़ देता हूं,
मैं, अक्सर कुछ नया करता हूं।
मुलाक़ात तो होती है, अक्सर उससे,
कभी देखता हूं, कभी कुछ बोल देता हूं,
मैं, अक्सर कुछ नया करता हूं।
देव
वाह।।।।